हलवे की मिठास | इंदु शर्मा की पोस्ट | | रविवार विचार |

नैना शादी के बाद पति राजेश के साथ ससुराल से ख़ुशी ख़ुशी शहर में आई थी | खाना बहुत अच्छा बनाती थी लेकिन मिठाई बनानी नहीं आती थी, उसे पसंद भी कम थी| राजेश का मन मिठाई खाने का करता तो वो बाजार से ले आता |

राजेश के जीजाजी का अपनी नौकरी के सिलसिले में उसी शहर में आना हुआ | नैना बहुत खुश थी, घर आने पर नैना ने पूछा, " जीजाजी आपको खाने में क्या पसंद है, वही बनाउंगी जो आप कहेंगे " | जीजाजी ने कहा ," सब्ज़ी रोटी कुछ भी बना लो नैना मगर मीठे में गर्मागरम आटे का हलवा ही बनाना| नैना के पैरों तले ज़मीन खिसक गई | अब क्या होगा ! शादी से पहले मम्मी को हलवा बनाते देखा ज़रूर था मगर खुद कभी नहीं बनाया | राजेश समझ गया था , धीरे से बोला " तुम चिंता मत करो, सब हो जायेगा, मैं शादी से पहले पढ़ने के लिए अकेला ही रहता था और खुद हलवा बना कर खाता था, हलवा मैं बना दूंगा तुम बस खाने की तैयारी करो " | " चलिए जीजाजी हम ऊपर छत पर चलते हैं , शाम का समय है हवा भी ठंडी चल रही है "| ऐसा कह कर राजेश और उसके जीजाजी छत पर चल दिए | कुछ देर जीजाजी से बात कर पानी लाने का  कह कर राजेश नीचे गया | नैना ने कढ़ाई तैयार कर रखी थी, राजेश ने कढ़ाई में घी और आटा डाल कर नैना से उसे सेंकने के लिए कहा और  वापस छत पर जीजाजी के पास चला गया | कुछ देर बाद राजेश फिर बोला " जीजाजी मैं बस अभी आया, आपको फोटो एल्बम दिखाना था वो लेकर आता हूँ " |

राजेश रसोई में नैना के साथ अच्छे से हलवा बनाने में लग गया| चीनी, पानी डाल कर हलवा तैयार कर नैना से बोला " नैना हलवा तैयार है , अब तुम इसे ड्राई फ्रूट से सजा दो " | ऊपर जाने पर जीजाजी बोले " बहुत देर लगा दी राजेश आने में , "अरे जीजाजी वो एल्बम ढून्ढ रहा था मिल ही नहीं रहा , चलिए नीचे चलते हैं खाना तैयार है "|

जीजाजी ने खाना खाया , खाने की खूब तारीफ़ की हलवे की बहुत ज्यादा तारीफ की | जीजाजी के जाने के बाद दीदी का भी फ़ोन आया और कहा ,"नैना तुम्हारे जीजाजी बहुत खुश हुए तुम दोनों से मिल कर, कह रहे थे  खाना बहुत अच्छा बनाती है  नैना,और हलवा तो बहुत ही स्वादिष्ट  बनाया था " | नैना बहुत खुश थी की राजेश ने इज्जत बचा ली | अब नैना ने हलवे के साथ और भी मिठाई बनानी सीख ली | 

कुछ दिन बाद जीजाजी का फिर से आना हुआ , नैना ने उन्हें खाने में हलवा परोसा तो जीजाजी बोले  " नैना हलवा बहुत अच्छा बना  है , इस बार भी राजेश ने  बनाया है  या तुमने  " |  नैना और राजेश  सकपका कर एक दूसरे की ओर देखने लगे , हँसते हुए जीजाजी बोले, "मैंने पिछली बार राजेश को तुम्हारे साथ हलवा  बनाते हुए देखा  था " | नैना ने कहा ,"जीजाजी अगर आप जानते थे की हलवा मैंने नहीं राजेश ने बनाया है तो आपने दीदी  से मेरी इतनी तारीफ़ क्यों की "?

"देखो नैना अगर मैं तुम्हे उसी दिन बता देता तो तुम्हे दुःख होता , तुम दोनों के हाथों से बना हलवा बहुत स्वादिष्ट था ,तुम दोनों का प्यार जो मिला था उसमे " जीजाजी ने नैना को समझाते हुए कहा | नैना के  चेहरे  पर शर्मिंदगी मुस्कान में बदल गई | जीजाजी के प्रति दोनों नतमस्तक हो गए, उनके प्रति नैना और राजेश के मन में सम्मान और भी बढ़ गया |


परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था  है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित  होती है | सभी सदस्य अपना  जीवन प्रेम एवं स्नेह से निर्वाह  करते हैं | संस्कार, मर्यादा, सम्मान ,समर्पण, आदर , अनुशासन किसी भी सुखी,संपन्न एवम  खुशहाल  परिवार के गुण हैं जो सभी सदस्यों को जोड़ कर रखता है | सुख दुःख में सभी एक दूसरे का साथ  देते हैं  |  


- इंदु  शर्मा 



   










                                                                                                          
  

 
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Comments

  1. Bahut khoob... प्रेम ; स्नेह और एक दूसरे का सम्मान करना ही परिवार की नींव पक्की करता है

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  2. Halwe ki mithas se rishton mein mithas aa gae

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