शाम का वक़्त था मैं अपने पोते को टहलाने घर से बाहर लेकर आई की पड़ोस की कमला भाभी ने आवाज़ लगा दी - " अरी ! कहाँ जा रही हो ,यहाँ आ जाओ " मन नहीं था मगर मुझे जाना पड़ा | कमला भाभी मौहल्ले की वो औरत जिसे घर के दरवाजे पर बैठ कर आते जाते लोगों से बतियाने के सिवाय शायद ही कोई और काम हो | "पोते को घुमा रही हो ,बहु घर पर नहीं है क्या " मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा "ब्यूटी पार्लर गई है "| मेरा इतना कहना था की कमला भाभी शुरू हो गई ,"अरि ! क्यों बहु को इतनी आज़ादी दे रखी है ,सूरत तो जैसी है वैसी ही रहेगी ,उस पर लीपा -पोती करने से क्या ज्यादा सुन्दर हो जाएगी ?सुंदरता तो भगवान की देन है इसपर क्रीम पाउडर क्या करेंगे ?"
इतने में ही अंदर से उनकी बहु पानी लेकर आई , उसे देखते ही कमला भाभी बोली "इसे देखो कभी पार्लर वार्लर नहीं गई , मेरी बहु को तो ये सब पसंद ही नहीं ,कभी 5 रु भी क्रीम पाउडर पर खर्च नहीं किये | बहुत समझदार है मेरी बहु ,क्यों बहु सही कह रही हु न ?"
मैंने बहु की तरफ देखा ,वह हल्के से मुस्कुराई और अंदर चली गई ,मैं वापस घर आ गई |
कुछ दिन बाद मैं दूकान से कुछ सामान खरीद रही थी ,पास ही में एक ब्यूटी पार्लर था ,जिसके बाहर मैंने कमला भाभी के बेटे को खड़े देखा ,मैं कुछ सोच पाती उस से पहले ही पार्लर से कमला भाभी की बहु बहार आई मुझे मुस्कुराकर नमस्ते कहा और अपने पति के साथ चली गई
मुझे उसके उस दिन के मुस्कुराने का अंदाज़ और आज की मुस्कराहट का अंतर समझ आ गया
पुराने ज़माने में पली सास ,अपने समय की मर्यादा ,मान्यता परिस्थितियों में बहुओ को कस कर रखना चाहती हैं , | दूसरी ओर आजकल के स्वतंत्र,समानाधिकार वातावरण से प्रभावित नारी अपने सपनों और चाहतो को पूरा करना चाहती है जिस से दोनों पक्षों में विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न होती है |
ये विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए आपके क्या विचार हैं ??? की पोस्ट
Generation gap ko mita kr aapas m samnjasya bitha kr ak doosre k vicharo ka samman krke he ghar chlana samjhdaari h
ReplyDeleteGud
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